नई दिल्ली। आल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने एक बयान जारी करके कहा कि निजामुद्दीन मरकज को मीडिया द्वारा ```कोरोनावायरस को योजनाबद्ध तरीके से मुद्दा बनाकर भारत का माहौल खराब करने वाली मीडिया को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी और मीडिया को लगाई गई कड़ी फटकार के साथ सुप्रीम कोर्ट का कहना कि ऐसी खबरें चलाकर मीडिया भारत का माहौल खराब ना करें। उन्होंने चेतावनी का स्वागत करते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद जहां मीडिया की बोलती बंद हो गई वही मरकज के विरुद्ध दिल्ली सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार का कोरोनावायरस को हिंदू मुस्लिम का रूप देने का मंसूबा भी फेल हो गया।
श्री मंसूरी ने कहा जिन 300 लोगों को जो श्रीलंका बांग्लादेश मलेशिया इंडोनेशिया थाईलैंड आदि से जमात में आए थे जांच के लिए पुनहाना शेल्टर होम में रखा था उनकी जांच के बाद किसी भी शख्स के अंदर कोई वायरस नहीं पाया गया । मीडिया द्वारा देश में जमात को लेकर जो माहौल पैदा किया जा रहा था। उनका मंसूबा विफल हो गया। श्री मंसूरी ने कहा अब केंद्र और दिल्ली की केजरीवाल सरकार यह बताएं कि 1 अप्रैल को नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास जो दो टूरिस्ट बस है जिसमें लगभग 100 - 100 व्यक्ति मौजूद थे। दिल्ली में लॉक डाउन के बावजूद उनको रोककर उनकी जांच क्यों नहीं की गई। सरकार इसका जवाब दे। श्री मंसूरी ने कहा इसी तरह गुजरात के 1800लोग हरिद्वार में फंसे थे। उन्हें अमित शाह और मुख्यमंत्री रुपाणी के कहने पर लॉक डाउन के दौरान बिना किसी जांच के गुजरात क्यों भेजा गया। क्या इसलिए के वह गुजराती थे अगर सरकार उनको गुजरात में भेजने की अनुमति दे सकती है तो मरकज में रुके लोगों को उनके राज्यों में जाने कि सरकार ने अनुमति क्यों नहीं दी। श्री मंसूरी ने कहा अगर सरकार को मरकज में बड़ी भीड़ जमा होने की इतनी ही चिंता है तो सरकार असम डिटेंशन सेंटरों में हजारों लोग जो बंद है उनको बाहर निकाल कर पहले उनका मेडिकल चेकअप कराएं उसके बाद उनको अलग अलग रहने की व्यवस्था करें। परंतु सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए वायरस को हिंदू-मुस्लिम का रंग मीडिया के सहयोग से देना चाहती थी सरकार और मीडिया दोनों ही सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बेनकाब हो गए। श्री मंसूरी ने मर्कस पर देश विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाने वाले मठाधीश ओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि के विश्व के बड़े-बड़े उद्योगपति और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग जमात के सदस्य हैं। और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को जमात से जुड़े बड़े-बड़े अरबपति आर्थिक सहयोग करते रहते हैं। उन्होंने कट्टरपंथी मठाधीशों से सवाल करते हुए कहा की देशभर में कोरोनावायरस की रोकथाम और मरीजों की सेवा के लिए देशभर में जमात से जुड़े 19000 से ज्यादा डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वही जमात से जुड़े 71000 पैरा मेडिकल स्टाफ भी कार्य कर रहा है।
श्री मंसूरी ने कहा भारत की आजादी में सबसे अधिक 72000 शहीद होने वाले लोग भी जमात के सदस्यथे। उन्होंने कट्टरपंथी विचारधारा वाले सरकारी मठाधीशों से सवाल किया कि आप जिस तरह की सोच रखते हैं क्या इस्लाम आपको इसकी इजाजत देता है ।
मुस्तकीम मंसूरी
(राष्ट्रीय महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस)
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम अहमद मंसूरी का निजामुद्दीन मरकज पर बयान